केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत को डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरता हुआ प्रमुख देश बताया. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत, ई-संजीवनी, IHIP, साक्षम आदि को WHO से तकनीकी और वित्तीय सहायता मिलेगी।
WHO—
देश की राजधानी दिल्ली में सोमवार (07 अक्टूबर) को डब्ल्यूएचओ (WHO) के दक्षिण पूर्व एशिया के 77वें वार्षिक सत्र का आयोजन हुआ। इस दौरान भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को डब्ल्यूएचओ का दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का अध्यक्ष चुना गया। इस दौरान जेपी नड्डा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
नड्डा ने दी यह जानकारी
उन्होंने कहा कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार सामाजिक समग्रता के दृष्टिकोण को अपनाती है, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और आवश्यक सेवाओं को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
भारत की योजनाओं के बारे में भी बताया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत को डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरता हुआ प्रमुख देश बताया। उन्होंने यह भी कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, ई-संजीवनी, आईएचआईपी, साक्षम आदि को विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से तकनीकी और वित्तीय सहायता मिलेगी। उन्होंने आयुष्मान भारत का जिक्र करते हुए कहा कि यह योजना 120 मिलियन से अधिक परिवारों को कवर करती है, जिसमें प्रति परिवार 6,000 अमेरिकी डॉलर का वार्षिक लाभ अस्पताल में भर्ती होने पर मिलता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने गिनाईं उपलब्धियां
उपलब्धियां बनाते हुए स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से कहा गया कि भारत का पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के साथ एकीकृत करने का अनुभव होलिस्टिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रहा है, जिससे नागरिकों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है।
WHO——
Addressed the 77th Session of the Regional Committee of WHO Southeast Asia Region.
India’s health system embraces a ‘whole of government’ and ‘whole of society’ approach to achieve Universal Health Coverage (UHC), with a emphasis on strengthening primary healthcare and essential… pic.twitter.com/FMGQkHow91
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) October 7, 2024
डब्ल्यूएच की दक्षिण पूर्व एशिया की रीजनल डायरेक्टर ने कही यह बात
बैठक में WHO की दक्षिण पूर्व एशिया की रीजनल डायरेक्टर साइमा वाजेद मौजूद रहीं. उन्होंने कहा कि 1948 में जब दक्षिण पूर्व एशिया के लिए पहली क्षेत्रीय समिति का गठन किया गया था, तब विश्व स्तर पर शिशु मृत्यु दर लगभग 147 थी, आज यह 25 है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम पुराने खतरों से जीतते हैं, वैसे-वैसे हमें नए खतरों का सामना करना पड़ता है। आज के खतरों का सामना हम सभी सामूहिक प्रयास और 21वीं सदी के साधनों के साथ करते हैं।